Vakya (वाक्य) And Vakya Ke Bhed Related Important Study Material In Hindi Grammar
शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों को प्रकट करना या आदान प्रदान करना ही वाक्य कहलाता हैं तथा एक सामान्य वाक्य में क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं।
वाक्य में दो अंग माने गये हैं।
उद्देश्य
विधेय
(1) उद्देश्य
साधारण वाक्य में कर्ता तथा कर्ता के बारे में जो कुछ कहा जाता है तो वह उदेश्य कहलाता है।
मुख्य रूप से उद्देश्य कर्ता को ही कहा जाता है।
जेसे: सीता भौतिक विज्ञान पढ़ती है।
NEED WEBSITE? GET WEBSITE AT JUST 3,000RS... CLICK HERE TO KNOW MORE
(2) विधेय
एक साधारण वाक्य में क्रिया तथा क्रिया से संबंधित पद विधेय कहा जाता हैं।
विधेय मुख्य रूप से क्रिया को ही माना जाता है।
युवराज अंग्रेजी विधालय में भौतिक विज्ञान पढ़ाता है।
वाक्य का वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।
1 अर्थ के आधार पर वाक्य – आठ प्रकार
(1) विधान वाचक वाक्य
(2) निषेधवाचक वाक्य
(3) संदेहवाचक वाक्य
(4) संकेतवाचक वाक्य
(5) इच्छावाचक वाक्य
(6) आज्ञावाचक वाक्य
(7) प्रश्नवाचक वाक्य
(8) विस्मयवाचक वाक्य
2 रचना के आधार पर वाक्य – तीन भेद
(1) साधारण/सरल वाक्य
(2) मिश्रित वाक्य
(3) संयुक्त वाक्य
अर्थ के आधार पर वाक्य
(1) विधानवाचक वाक्य
जब वाक्य में क्रिया का उपयोग सामान्य रूप से किया पाया जाये तो वहां विधान वाचक वाक्य होगा।
जैसे – सुमन पढ़ना चाहती है।, युवराज गांव में रहता है।
(2) निषेधवाचक वाक्य
जब वाक्य में क्रिया से पहले निषेध वाचक शब्द का प्रयोग हो तो वहां निषेध वाचक वाक्य होता है।
जैसे – योगेश गांव नहीं जायेगा।
(3) संदेहवाचक वाक्य
जब वाक्य में क्रिया के होने या न होने में संदेह कि स्थित बनी रहती है तो उसे संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।
नोट: संदिग्ध भूतकाल, संभाव्य वर्तमानकाल, संदिग्ध वर्तमानकाल तथा संभाव्य भविष्यतकाल कि क्रियाएं जिस वाक्यों में प्रयोग किया जाता है तो वे वाक्य संदेह वाचक ही होंगे।
जैसे – तुमने पत्र पढ़ा होगा।
(4) संकेतवाचक वाक्य
जब वाक्य में एक क्रिया का होना दुसरी क्रिया पर निर्भर हो तो उसे संकेत वाचक वाक्य कहा जाता हैं।
जैसे – जो मेहनत करेगा वह सफल होगा।
(5) इच्छावाचक वाक्य
जब वाक्य में कहने वाले कि इच्छा या कामना का बोध प्रकट हो तो उसे इच्छा वाचक वाक्य कहा जाता हैं।
जैसे – ईश्वर तुम्हारा भला करे।
नोट – इच्छा या कामना किसी अन्य से अपने लिए या किसी अन्य के लिए होती है। और यह ज़रूरी नहीं होता कि इच्छा या कामना हमेशा अच्छी ही हो। बुरी इच्छा या कामना भी इच्छा वाचक ही होती है।
(6) आज्ञावाचक वाक्य
जब वाक्य में आदेश या अनुमति दिये जाने का बोध प्रकट हो तो वहां आज्ञा वाचक वाक्य माना जाता है।
जैसे – तुम अब बाजार जा सकते हो।
(7) प्रश्नवाचक वाक्य
जब वाक्यों से प्रश्न कियेे जाने का बोध प्रकट हो तो वहां प्रश्नवाचक वाक्य का प्रयोग होगा
जैसे – तुम कहां निवास करते हो ?
(8) विस्मयवाचक वाक्य
जब वाक्य में भय, घृणा, हर्ष, शोक, दुख, खेद, कष्ट, आश्चर्य आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्द आयें तो वहां विस्मय वाचक वाक्य माना जाता है
जैसे – उफ! कितनी सर्दी है।
अरे! वे पास हो गये।
NEED WEBSITE? GET WEBSITE AT JUST 3,000RS... CLICK HERE TO KNOW MORE
रचना के आधार पर वाक्य
(1) साधारण वाक्य
जब वाक्य में एक कर्ता ओर एक ही क्रिया शब्द का प्रयोग किया हो तो उसे सरल वाक्य कहते हैं। दुसरे शब्दों में साधारण वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय होता है।
जैसे – प्रदीप हिन्दी पढ़ता है।
नोट – कभी-कभी साधारण वाक्य में उद्देश्य तथा विधेय दोनों का विस्तार इतना अधिक हो जाता है कि साधारण वाक्य को साधारण मानने में भ्रांति उत्पन्न होती है।
जैसे -युवराज के छोटे भाई योगेश पिछले दस वर्षो से सीकर के नीमकाथाना तहसील में भूगोल पढ़ा रहें हैं।
(2) मिश्रित वाक्य
आश्रित उपवाक्यों से मिलकर बना वाक्य मिश्रित वाक्य कहलाता है। तथा दुसरे शब्दों में जब एक मुख्य वाक्य के साथ एक या अधिक आश्रित उपवाक्य जुड़े हो तो उसे मिश्रित वाक्य कहा जाता हैं।
मिश्रित वाक्य की पहचान हेतू आश्रित उपवाक्य का बोध होना अनिवार्य होता है।
आश्रित उपवाक्य
जिनका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता जो किसी अन्य वाक्य पर निर्भर रहते हैं उन्हें आश्रित उपवाक्य कहा जाता हैं।
इनके तीन प्रकार के भेद होते हैं –
(1) संज्ञा उपवाक्य – कि
(2) विशेषण उपवाक्य – जो(जैसा), जो की शब्दरूप माना जाता है
(3) क्रिया विशेषण उपवाक्य – जब, जहां, यद्यपि क्योकि, यदि, जितना, तब, वहां, उधर, तथापि, इसलिए, ता, उतना आदि शब्द
जैसे – बिमला पढ़ रही थी कि जमीन हिलने लगी।
3 संयुक्त वाक्य
जब दो सरल वाक्य या दो मिश्रित वाक्य समुच्चय बोधक अव्ययों से जुड़े हो तो उन्हें संयुक्त वाक्य कहा जाता हैं।
जैसे – राजू पढ़ रहा है और सीता वनवास में है।
समुच्चय बोधक – और, अथवा या किन्तु, परन्तु लेकिन आदि शब्दो का प्रयोग किया जाता है
वाच्य के आधार पर वाक्य – 3 प्रकार के होते हैं।
(1) कर्तृ वाच्य वक्य
(2) कर्म वाच्य वाक्य
(3) भाव वाक्य वाक्य
कर्ता – क्रिया को करने वाला(कौन/किसने आदि की जगह आये)
कर्म – जो क्रिया से पूर्व (प्रश्नवाचक किसको/क्या आदि की जगह आये)
किसको की जगह आने वाला गौण कर्म।
(1) कर्तृ वाच्य वाक्य
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के लिंग वचन को बदलने पर क्रिया के लिंग वचन बदल जायें तो वहां कर्तृ वाच्य वाक्य माना जाता है
कर्ता = क्रिया
परिवर्तन = क्रिया
जैसे – सुरेश आलु खाता है।
(2) कर्म वाच्य वाक्य
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्म कारक के लिंग वचन बदलने पर क्रिया के लिंग वचन बदल जाये तो वहां कर्म वाच्य वाक्य माना जाता है।
जैसे – प्रदीप ने उपन्यास पढ़ा।
नोट – कर्म वाक्य में कर्ता के बाद से तथा के द्वारा भी आ जाता है।
(3) भाव वाच्य वाक्य
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के लिंग वचन बदलने पर क्रिया के लिंग वचन न बदले तथा क्रिया अकर्मक हो तो वहां भाव वाच्य वाक्य माना जाता है।
जैसे – युवराज के द्वारा हंसा गया।
कर्ता के अनुसार क्रिया बदले = कर्तृ वाच्य
कर्ता के अनुसार क्रिया न बदले(क्या की जगह उत्तर देता हो) – कर्म वाच्य
कर्ता के अनुसार क्रिया न बदले और क्या की जगह उत्तर न देता हो – भाव
नोट – ऐसा वाक्य जिसमें कर्ता न दिया हो अर्थात क्रिया करने वाले का उल्लेख न हो तो वहां अपनी कल्पना से कर्ता बनाकर क्रिया से पहले क्या लगाया जाता है
जैसे – पत्र पढ़ा गया – राजू के द्वारा पत्र पढ़ा गया।
किसको या क्या में से एक का भी उत्तर मिलता हो तो क्रिया = सकर्मक होती है